महा कवि कपिलनाथ कस्यप हमर देस के आजाद होय के पहली जनम लेइन अउ बरिस 1985, 2 मार्च के देहावसान होइस, बीसवीं सदी के उन एक साधारण अचरचित साहित्यकार रहिन उन समाचार पत्र-पत्रिका म अपन नाम छपय एकर ले परहेज करत रहिन जबि उन राष्ट्रीय कवि मैथिलीसरन गुप्त के समकालिन कवि रहिन।
छत्तीसगढ़ी भासा ल एक मानकरूप म लाये म उन तीन ठन महाकाव्य ‘श्री राम कथा’, ‘श्री कृस्नकथा’, ‘महाभारत’ अउ ‘श्रीमद् भागवत गीता’ (छत्तीसगढ़ी भावानुवाद) के रचना कर अपन प्रतिभा ला बताईन -छत्तीसगढ़ के महाकवि कहाइन उन कथाकार, नाटककार, निबंधकार रहिन। हिन्दी साहित्य म भी उनकर योगदान हावय पद्य अउ गद्य दूनो म लिखत रहिन हिन्दी म नौ खण्डकाव्य नाटक के रचना करके पाण्डुलिपि के अम्बार लगा देहे हैं प्रचार प्रसार ले दूरिहा रहिन ‘स्वान्त: सुखाय’ लिखत रहिन। उन अपन कृतित्व ल जन मानस के बीच जनवाय के कोसीस नही करत रहिन आचार्य रामचन्द शुक्ल, डॉ. धीरेन्द्र वर्मा, डॉ. रामकुमार वर्मा के सिस्य प्रयाग विस्वविद्यालय के डर्विन कालेज म पढ़त रहिन अपन गुरुदेव के सम्पर्क म रहिके हिन्दी साहित्य विसय लेके बिसेस लगाव के साथ-साथ लेखन के प्रति रूचि होइस लगाव अउ इलाहाबाद म साहित्यिक गोस्ठी म आय जाय लगिन बरिस 1931 म स्नातक के डिग्री लेहे के बाद अपन गांव पौना तहसील जिला जांजगीर-चाम्पा आ गइन अउ गांव म आके बाग बगईचा अउ पेड़ पौधा लगाय के विसेस ध्यान देहे लगिन। साथ-साथ साहित्य लेखन म लगे रहिन 1932 म अकलतरा अंग्रेजी स्कूल चलाय के जिम्मेदारी मिलिस अउ सिक्छीय कार्य सुरू करिन, कुछ राजनैतिक उठा-पठक के कारन अकलतरा के सिक्छीय काम ल छोड़के रायपुर आ गइन इहां स्व. खूबचन्द बघेल अउ रायपुर के स्वतंत्रता सेनानी साहित्य कार मालवी प्रसाद श्रीवास्तव अउ साहित्यकार मन के सम्पर्क म आइन वोही समय चाम्पा लछनपुर के उनकर संगवारी डोरी लाल केंवट राजस्व विभाग म सरकारी नौकरी करे बर बाध्य करिन। राजस्व विभाग के पद म रहत हुए अधीक्षक भू-अभिलेख के पद ले वरिस 1961 म दुर्ग ले रिटायर होइन अउ नावा सरकण्डा म स्थायी रूप से निवास बर घर बना के बस गईन।
रिटायर होय के बाद अपन समय ल साहित्य लेखन म बिताईन छत्तीसगढ़ी हिन्दी म बहुतकन खण्डकाव्य हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी म महाकाव्य, खण्ड काव्य, कहानी, एकांकी, नाटक, निबंध के रचना कर डारिन इनला हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दूनो भासा म समान रूप ले ग्यान रहिस छत्तीसगढ़ी भासा के ग्रंथ रचना के संख्या पच्चीस ठन अउ हिन्दी साहित्य के चौदह ठन के पाण्डुलिपि ले स्वयं मससियानी लेखनी म लिख के धरे रहिन जउन हर भंडारन के रूप म धरोहर रखय हावय। कविवर कपिलनाथ के लिखे ‘श्रीराम कथा’ ल मध्यपरदेस साहित्य परिसद ले वरिस 1975 म लोक साहित्य के ‘ईसुरी पुरस्कार’ देहे गये हे, उनकर अभिनंदन भोपाल के रविन्द्र सभा भवन सम्मानित मुख्यमंत्री के हाथ ले करे गये हे ‘श्रीराम कथा’ महाकाव्य छत्तीसगढ़ी भासा के पहली महाकाव्य आय। कविवर कपिल नाथ प्रतिभासाली एकांत साधक साहित्यकार रहिन उनकर साहित्य रचना के मूल्यांकन होना जरूरी हे, डॉ. विनय कुमार पाठक के पोस्ट डाक्टरेटरिसर्च वर्क के द्वारा कविवर कस्यप के सब्बो रचना ग्रंथ मन ल जन मानस सामने इन लाइन ये दृष्टि ले छत्तीसगढ़ी के पहला महाकवि निबंधकार नाटककार, कहानीकार माने बर परही कविवर कपिल छत्तीसगढ़ी साहित्य ल एक मानक अउ पोठ साहित्य भंडार म लाय बर उनकर कोसीस ल भुलाय नहि जा सकय। कविवर कपिलनाथ जइसे रचनाकार 20वीं सताब्दी म न तो होय हे न आने वाला सदी म होही अइसे लागथे। कविवर कपिलनाथ के जम्मो रचना साहित्य मन ला प्रकाशन छपवाय के बीड़ा ल महाकवि कपिलनाथ कस्यप जयंती समारोह समिति अउ प्रयास प्रकासन मिलके करत हे।
गणेश प्रसाद कश्यप
सरकंडा, बिलासपुर
अहो भाग के महा कवि कपिलनाथ कस्यप जी ल तिर ले जाने अउ समझे के अवसर मिलिस. आपके लेख के माध्यम ले। बड़ सुघर जानकारी खातिर लेखक अउ गुरतुर गोठ ल हिरदे ले धन्यवाद।